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जिन्दगी है छोटी हर पल खुश रहो

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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यह एक बेहतरीन कविता किसी कवि ने आजकल के भागती-दौड़ती जिंदगी को लेकर लिखी है. कविता बताती है कि कैसे छोटे-छोटे बदलाव से हम अपने दिल को खुशी दे सकते हैं. कविता के कवि का नाम मुझे मालूम नहीं इसलिए साभार में गूगल को दे रहा हूं.

ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो …
ओफिस में खुश रहो, घर में खुश रहो।
आज पनीर नहीं है, दाल में खुश रहो।
आज जिम जाने का समय नहीं, पैदल चल के ही खुश रहो।
आज दोस्तों का साथ नहीं, टीवी देख के ही खुश रहो।
घर जा नहीं सकते, फोन कर के ही खुश रहो।
आज कोई नाराज़ है, उसके इस अन्दाज़ में भी खुश रहो।
जिसे देख नहीं सकते, उसकी आवाज़ में ही खुश रहो।
जिसे पा नहीं सकते, उसकी याद में ही खुश रहो।
लेपटोप न मिला तो क्या, डेस्कटोप में ही खुश रहो।
बीता हुआ कल जा चुका है, उससे मीठी-मीठी यादें हैं, उनमें ही खुश रहो।
आने वाले पल का पता नहीं … सपनों में ही खुश रहो।
हँसते-हँसते ये पल बीतेंगे, आज में ही खुश रहो।
ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो …

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