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हास्य कविता हम सबको अच्छी लगती है. हास्य रस से डूबी कविताओं का कोई जवाब नहीं होता. हास्य कविता न सिर्फ हंसने का मौका देती है बल्कि उसे समझने में भी आसानी होती है. लेकिन क्या करें हमें हास्य कविता तो लिखनी आती नहीं और न ही जागरण जंक्शन के मंच पर अधिक हास्य कविताएं मिलती हैं. तो इस समस्या को हल करने के लिए कई मशहूर हास्य कवियों की कुछ रचनाएं इस मंच तक लाने की कोशिश करता हूं. आप भी आनंद लीजिए इस बेहतरीन प्रेम-कविता का :
मेरे पास तो प्यार है
प्रेमी अपनी प्रेमिका का हाथ
माँगने उसकी माँ के पास पहुँचा
तब वह गुस्से में बोली
‘तुम्हारे पास क्या है
गाड़ी, बंगला या बैंक बेलेंस
प्रेमी फिल्मी स्टाइल में बोला
‘मेरे पास बस प्यार है’
प्रेमिका की माँ भड़क गयी गयी
और चिल्लाकर बोली
‘उसका क्या मेरी बेटी अचार डालेगी
यह कमाकर तुम्हें पालेगी
यह हर महीने नया सूट खरीद कर लाती है
तुम्हें जिस मोबाइल से करती है फोन
उसमे सिम बाप के पैसे से डलवाती है
तुम इसके खर्च उठा सकोगे
क्या है तुम्हारे पास
प्रेमी बोला
‘मेरे पास बस प्यार है’
प्रेमिका अपनी माँ से नाराज होकर बोली
‘मम्मी तुम मेरी इसके साथ
शादी कराने पर राजी हो जाओ
नहीं तो में अपनी जान दे दूँगी या
इसके साथ भाग जाऊंगी ‘
माँ खुश होकर बोली
‘बेटी इसमें पूछना क्या
कल को भागती है
आज ही भाग जा
बाकी मैं संभाल लूँगी’
वह अपने कमरे से
अपना सामान उठाकर ले आई
और प्रेमी से बोली
‘चलो अब यहाँ से निकलते हैं
कहीं और बसते हैं’
‘ठीक है कुछ पैसे भी रख लेना
तुम्हारे प्यार में पिताजी के दिये
सब पैसे तुम पर खर्च का दिया
अब जो बचा
मेरे पास बस प्यार है’
पहले तो प्रेमिका हतप्रभ रह गयी
और फिर सोचते हुए बोली
‘इससे काम नहीं चलेगा
यह घर छोड़ा तो यहाँ भी फिर
यहाँ भी नो एन्ट्री का बोर्ड लगेगा
कुछ तो होगा तुम्हारे पास
प्रेमी बोला
‘मेरे पास बस प्यार है’
प्रेमिका को गुस्सा आ गया और बोली
‘तुम अब अकेले चले जाओ
इस तरह नहीं चल सकती जिन्दगी की गाड़ी
प्यार तो है चार दिन का
फिर तो चाहिये मुझे गहने और साड़ी
फिर भी प्रेमी नहीं मान रहा था
आखिर माँ-बेटी ने धकेल कर
उसे घर से बाहर निकाला
वह बस एक ही रट लगाये जा रहा था
‘मेरे पास बस प्यार है’
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