- 247 Posts
- 1192 Comments
होली आ गई है और साथ ही टाइम आ गया है दिल में गुब्बारे फूटने का. होली मतलब मेरे लिए मस्ती और मजे करने का टाइम. वो बात अलग है कि मैंने पिछली दो होलियां अपने काम और बीमारी की वजह से मिस कर दी. पर इस बार भाई कोई बहाना नहीं होगा. इस बार हम भी जमकर होली के रंग में रंगेंगे और दूसरों को भी होलीमय कर देंगे.
वैसे तो सोच रहे हैं इस बार होली थोड़ी इको फ्रेंडली खेलें लेकिन यार एक ठो बात बताइए जरा कि होली का रंग जब तक दो चार दिन तक ना छूटे तब तक होली का रंग लगाने का फायदा क्या. हमारे भी दो चार दोस्त हैं जिनको इस बार हम इतना रंग लगाएंगे कि कमबख्त पूरे दो दिन मिट्टी का तेल लगाते रहेंगे… हां सच कह रहे हैं…. इस बार की होली को इतना मजेदार बनाएंगे कि लोग भी देखेंगे और अब तो डर भी नहीं क्यूंकि आगरा का पागलखाना बंद हो गया है. पिछली बार जब हम होली पर पगलाए थे तो लोग कह रहे थे मियां पागल हो गए हैं, आगरा में एक बेड बुक करवा देते हैं.. इस बार कौन से हॉस्पिटल में बंद करवाएंगे.
अभी एक ही पोस्ट में हम सारा रस नहीं पिलाएंगे आप लोगों को. अरे भई, अभी पिछले हफ्ते हम ब्लॉगर ऑफ द वीक बने हैं और अब हम पूरी ताकत झोंक देंगे होली का बादशाह बनने के लिए. वैसे भी हम तो अपनी गली और मोहल्ले के होली किंग हैं ही अब यहां भी दिखाएंगे कि कैसे होली मनाते हैं….. बुरा ना मानो होली है…….
होली आई होली आई
पिचकारी के सपने लाई
भूल भाल कर सारे वैर
फगवा खेलें सब मिल भाई
धरती दुल्हन सी लगती है
अबीर ने ली है अंगड़ाई
होली आई होली आई
पिचकारी के सपने लाई
गुल्ले खाओ गुझिया खाओ
मिल कर खाओ खूब मिठाई
चौटाल गाओ फगवा गाओ
पिचकारी ने धूम मचाई
होली आई होली आई
पिचकारी के सपने लाई (डा. प्रेम जनमेजय की रचना से साभार सहित)
Read Comments