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अपने घर से दूर रहकर रहने वालों के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती होती है खुद खाना बनाना. मेरे लिए तो खाना बनना जैसे नाच ना आए आंगन टेढ़ा. कभी स्कूल के समय में मम्मी या पापा दोनों एक साथ बाहर चले जाते थे और मैं अकेला होता था तो खाना बनाना ना आने के कारण मैगी का बहुत सहारा मिलता था. मैगी ने अपना साथ बाद में कॉलेज के दिनों में भी निभाया और उसके बाद आजकल भी जब कभी मूड की दही होती है तो मैगी की याद आती है.
बड़ी प्यारी होती है यह मैगी. चाहे सिंपल तरीके से बनाओ या चाहे उसमें टमाटर, मटर या बाकी सब्जियां डाल कर. बस होनी चाहिए गर्मागर्म.
और हां, मैगी के साथ यह पंगा भी नहीं कि इसे खाने या पकाने में घंटो लगेंगे, बस दो मिनट में तैयार और तीन मिनट में पेट में. पूरे पांच मिनट में पेट का कोटा पूरा.
मैगी की इसी लोकप्रियता को किसी कवि ने क्य खूब शब्दों में पिरोया है जरा एक नजर आप भी डालिए और मजा लीजिए मैगी के स्वाद का. बस थोड़ा ध्यान यह रखना कि मुंह में पानी आएं तो की-बोर्ड गीला मत कर देना.
Students-Hostellers का रखती ख्याल है Maggi
Bachelors के लिए तो कसम से बवाल है Maggi,
Breakfast, Lunch या dinner खाओ जब भी जी चाहे
Utilization की जीती जागती मिसाल है Maggi,
Egg, Chiken, Paneer, veg कितने रूप हैं इसके
मनभावन स्वाद की एक तरण-ताल है Maggi,
महंगाई का जवाब तो नहीं सरकार के भी पास
खुद महंगाई के लिए बन गयी सवाल है Maggi,
कुछ और ना हो इसका स्टॉक में होना जरुरी है
अपने लिए तो जैसे चावल-दाल है Maggi,
मियां-बीवी जो दोनों लौटे थक के ऑफिस से
फिर dinner में अक्सर होती इस्तेमाल है Maggi,
कभी था डर बीवी रूठी तो सोना पड़ेगा भूखे ही
अबला पुरुषों के लिए बन गयी ढाल है Maggi,
टेडी-मेढ़ी, सूखी-गीली फिर भी स्वाद में डूबी
बयां करती है क्या ज़िन्दगी का हाल है Maggi,
गुजारी हमने कैसे ज़िन्दगी, मत पूछ ‘आलसी’
कि मेरी ज़िन्दगी के भी कई साल हैं Maggi.
सौजन्य : इंटरनेट
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