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इन दिनों सीजन चल रहा है शादियों का. शादी मतलब बैंड बाजा, पति बेचारा, बाराती आवारा और खाना-खिलाना शुभांल्लाह. शादी से याद आया हर चीज की तो सब बात करते है अब भला इसमें कुछ अलग थोड़ा हटके क्या है. तो जनाब शादी में बैंड से लेकर बारात तक और लड़की के फैशन से लेकर लड़के के जुते तक के ऊपर आपको तमाम ब्लॉग, लेख, उपन्यास और शोध मिल जाएंगे लेकिन क्या कभी किसी ने यह बताया है कि किस तरह शादी में अपने पैसों को वसूल किया जाए और दावत खाने का मैनुअल आज तक किसी ने आपको पढ़ाया है ! नहीं ना. तभी तो हम सबसे अलग हटकर आपके लिए लाए है यह दावत खाऊ मैनुअल.
देखिए दावत खाने से पहले सबसे पहला नियम याद रखें अगर दावत शाम की है तो सुबह से अन्न का एक दाना भी पेट में भूलकर ना चला जाए. ऐसा करने से आपके पेट में समुचित जगह बची रहेगी. दावतार्थी सुबह से ही हर घंटे एक गिलास पानी पीता रहे, ताकि आंतों पर जोर न पडे. ध्यान रखें कि कोई गर्म पेय न लें. चाय-कॉफी या दूध भूख पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. कुछ सच्जन तो दावत से पूर्व विरेचक चूर्ण का भी सेवन करते हैं, हालांकि यह अति की श्रेणी में आता है.
अब जब आपने दिनभर दावत के लिए व्रत रख लिया और पहुंच गए अपने पेट के मंदिर में तो सबसे पहले जरा संभलकर. दावत में पहुंचने पर परिचितों से बचें. बातों में उलझ गए तो मनचाहे व्यंजन से हाथ धोना पड सकता है. परिचित दिखें तो बाइपास लेने की कोशिश करें. हेलो-हाय या हाथ के इशारे से काम बन जाए तो सर्वोत्तम.
अब बात असली खाने की. तो भईया सच्चा दावतार्थी किसी स्टॉल पर अचानक ही नहीं खडा हो जाता या कुछ भी लेकर यूं ही नहीं खाने लग जाता. वह एक अनुभवी जासूस की तरह पहले पता लगाता है कि माहौल क्या है और मेन्यू में क्या-क्या है. नाश्ते में क्या खास है और मुख्य भोजन में क्या है! ऐसे आइटम कौन से हैं जो ऊंची कीमत के होने के बावजूद पेटभराऊ नहीं हैं. डोसा, चाउमीन और बर्गर जैसे खाद्य पदार्थो का उपभोग बुफे मैनुअल के विरुद्ध है. इनसे पेट जल्दी भर जाता है. इसके बजाय गोलगप्पे, दही-भल्ले, पनीर पकौडे और पनीर टिक्के ज्यादा ग्राह्य हैं. शाकाहारियों का तो पूरा ध्यान पनीर पर ही होना चाहिए. इस वर्ग में इससे महंगा दूसरा आइटम नहीं मिलता.
सबसे पहले तो यही तय करना है कि सबसे महंगा आइटम कौन सा है. आप अगर मांसाहारी हैं तब तो कोई दिक्कत ही नहीं. इसमें कोई व्यंजन सस्ता होने का चांस ही नहीं है. मुसीबत शाकाहार में है.
आप तो दावत के उपभोग के लिए गए हैं, समय और पैसा खर्च किया है. शायद कोई महंगा गिफ्ट भी ले गए हों. आपको तो बस वसूल करना है, इसलिए चिढें नहीं. सकारात्मक सोच अपनाएं. अगर ऐसा लगे कि मेन्यू की विविधता और गुणवत्ता अपेक्षा के अनुरूप नहीं है तो शांतिपूर्वक खुन्नस निकालना शुरू कर दें. हर स्टॉल पर जाएं और पूरी प्लेट भरें. गाडी चलने लायक हो तो दो-चार चम्मच खा लें, वरना बडे-बडे कूडेदान मुंह खोले इंतजार कर रहे हैं. उनका पेट भर दें. हां, इतना ध्यान अवश्य रखें कि डिश को कूडेदान में फेंकने से पूर्व उसकी जी भरकर बुराई करें.
अगर मेन्यू असंख्य और स्वादिष्ट है तब तो पूछना ही क्या! ऐसे में बैठने का जुगाड हो जाए तो सोने पर सुहागा. खडे-खडे खाने पर आप उतनी मात्रा का उपभोग नहीं कर सकते जितना बैठकर सुकून से खाने में कर सकते हैं.
और हां एक सबसे विशेष बात दावत में आपको मान लेना है कि अगला दिन आपके लिए व्रत का होने जा रहा है. इतना ठूंस लेना है कि कल तक के लिए आंतों में नो एंट्री का बोर्ड लग जाए. अगर आप ऐसी दावत से लौटकर अपना एक दिन का राशन भी नहीं बचा सकते तो दावत में जाने का विचार त्याग दें. उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मंदाग्नि के रोगी पहले से ही अयोग्य ठहराए जा चुके हैं. महिला अतिथियों को अपना पूरा ध्यान केवल गोलगप्पे, टिक्की, दही-भल्ले और पापडी पर रखना चाहिए.
अन्तत: चार-पांच कप आइसक्रीम खाना न भूलें. आइसक्रीम छक लेने के बाद आप घर के लिए विदा हो सकते हैं. तन-मन ठंडा रहेगा. प्राणों की चिंता मत करें. उसके विषय में लोककल्याणकारी संस्कृत साहित्य में लिखा है-
परान्नम् प्राप्त्वा दुर्बुद्धे, मा प्राणेषु दयां कुरु!
परान्नानि दुर्लभानि, प्राणा: तु जन्मनि-जन्मनि.
साभार : जागरण 😆 😆 😆 😆
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