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रामा रामा क्या है यह ड्रामा : जागरण जंक्शन फोरम

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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आजकल देश में हर बड़ा नेता अनशन और सत्याग्रह की राग अलाप रहा है जिसे देखो सत्याग्रह, कालाधन और अजीब-अजीब सी बिमारियों की बात करता है. लेकिन होता क्या है सबको पता है. आयोग समिति बैठा दी जाती है या कोई बड़े नेताओं की बैठक होती है बाकि सब खत्म. अन्ना हजारे को तो लगता है सरकार ने झुनझुना पकड़ा दिया है और वह इससे खुश भी हैं कि उन्होंने देश की सरकार को झुका दिया दूसरी तरह बेचारे योगगुरु बाबा रामदेव बिना मतलब में गेंहू से साथ घुन की तरह पिस गए हैं. आंदोलन किया तो रात को पूलिस ने भगा दिया. सुना है वहां तो सीधे शूट इन साइट का ऑडर था पर लोगों की संख्या ज्यादा थी वरना बाबाजी की कब्र रामलीला मैदान पर ही खोदी जाती.


रामलीला मैदान में महाभारत
रामलीला मैदान में महाभारत

वैसे जो कुछ रामलीला मैदान में हुआ उसपर देश की प्रतिक्रिया थोड़ी  ठंडी ही र अही क्यूंकि बाबा के साथ आम जनता का स्पोर्ट नहीं था और बिना आम्जनता के स्पोर्ट के इस देश में बड़ा परिवर्तन करना बड़ा मुश्किल है. अगर जनता का सहयोग है तो आप  भी अन्ना हजारे की तरह जीत सकते हैं लेकिन क्या करें रामदेव तो खुद को बीआरडी मिसाइल समझ बैठे थे अब पड़ी ना सही से.


रामलीला मैदान में बंदर की  भांति बाबा रामदेव मंच से कूदकर पीछे के रास्ते महिलाओं के कपड़ों में भाग गए. सबसे गलत काम इस बंदे ने यही किया. यार अगर इसकी जगह वह गिरफ्तारी दे देते  तो नाम और काम दोनों होता और वह भी जबरदस्त. लेकिन बाबा को तो मौत से डर लगता  था सो भाग गए.


दिल्ली से निकल हरिद्वार में ढ़ेरा डाला पर यहां पर तो महाशय की हालात बद से बदतर हो गई. कभी दूसरों को योगा के माध्यम से भय और रोग दूर करने वाले बाबा रामदेव को खुद गंभीर समस्या हो गई. हालात तो आईसीयू वाले हो गए थे लेकिन भला हो श्रीश्री रविशंकर का जिन्होंने बाबा का अनशन तुड़वा दिया.


इस पूरी भागदौड़ में सब मुद्दे से भटक गए किसी को याद ही नहीं रहा यार करना क्या है. सबको रामदेव की लगी हुई थी.


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