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यूं तो न्यूज पेपरों की हेडलाइन से आजकल लोगों को जलाने की खबरें गायब हो गई हैं जिसकी वजह से आखिर कितनी महिलाओं के मरने की खबर देगें न्यूज वालें. न्यूज वालों को यह खबर देना सही नहीं लगता. वजह पता नहीं. वैसे भी टीआरपी के दौर में ऐसी न्यूज के लिए टीवी मीडिया को तो टाइम है ही नहीं और तो अब तो प्रिंट मीडिया ने ऐसी खबरों से मुंह मोड़ लिया है लेकिन हां मामला हाई प्रोफाइल है तो मीडिया जरूर पीछे भागेगा. पैसा दो फिर देखा अगर आपके बेटे को बुखार भी है तो भी वह न्यूज बन जाएगी. लेकिन आम आदमी हमेशा चुसे हुए आम की तरह फेंक ही दिया जाता है.
चलिए छोड़िए आते हैं मुख्य विषय पर. कुछ दिन पहले मेरी एक परिचित दीदी जो कभी बचपन में हमारे पड़ोस में रहती थी उनके जलने की खबर मिली. खबर सुन मैं बेहद हैरान हुआ क्यूंकि ऐसा नहीं था कि उनकी शादी में दुल्हे को दहेज कम दिया था. उनकी शादी 2005 के आसपास हुई थी और उस वक्त अकंल ने अपनी बेटी को मारूती देकर विदा किया था. और दीदी की खुद की सरकारी नौकरी थी. फिर भी समझ में नहीं आया कि क्यूं उसके पति ने उसको जला दिया.
जब मैंने उनको जलाने की वजह सुनी तो बेहद हैरान हुआ और खुद से एक सवाल पूछा कि “क्या ऐसे भी जलते हैं लोग”. क्या कोई किसी को सिर्फ एक एसएमएस की वजह से भी जला सकता है. दरअसल हुआ यह था कि वह जिस विभाग में काम करती थी वहां उनकी किसी महिला मित्र ने उन्हें एक शायराना एसएमएस भेज दिया और उसके पति को लगा कि यह एसएमएस किसी लड़के ने भेजा है. और इसी गलतफहमी और शराब के नशे में उन्होंने अपनी बीवी को दो बच्चों की मां थी उसको जला डाला. वो तो गनीमत थी कि आग लगते ही वो बाहर भाग गई और पड़ोसियों ने उन्हें बचा लिया लेकिन फिर भी वह उतना जल चुकी थी कि कुछ दिनों में उनकी मौत हो गई. इससे पहले की मामला बढ़ता दुल्हे के पक्ष ने लड़की को आईसीयू से ही सीधे मेजिस्ट्रेट के सामने ले जाकर जली हुई बहू से यह बयान दिला दिया कि आग गेस से लगी थी. मामला तो खत्म हो गया. लड़की मर गई. लड़का यानि वो दुल्हा आजाद हो गया और शर्म की सारे हद पार कर उस लड़के ने अपने दोनों बेटों जिनकी उम्र 4 और 6 साल है, को अपने साथ रखने से मना कर दिया. खैर अच्छा ही हुआ वह मासूम बच्चें उस शैतान के साथ शायद ही रह पाते.
लेकिन इस घटना ने मुझे एक समझा दी कि जिस एसएमएस को हम बहुत पसंद करते हैं हो सकता है वह किसी की जिंदगी पर आफत ला दे.
आज हममें से कई लोगों की दोस्ती ऐसे लोगों से भी है जो विवाहित हैं. विवाह यूं तो दो दिलों और दो जानों को एक में बांधता है. लेकिन कहते हैं ना कि मर्दों का शक कभी महिलाओं पर से हटता ही नहीं और शादी के बाद भी वह अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करना नहीं छोडता. यह आज से नहीं राम युग से ही होता रहा है.
आज के समय में यह शक हाइटैक हो गया है इसलिए जरूरी है कि आपकी कोई मित्र विवाहित है या आप विवाहित हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें:
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