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आज वैलेटाइन डे और प्रेम के इस पावन पर्व पर पेश है मेरी एक और खुराफाती पेशकश “डॉक्टर साहब का प्रेम पत्र”. यह प्रेम पत्र बेहद गोपनीत था जिसे हम आज सार्वजनिक कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्यूंकि अधिकतर लोगों खासकर छोटे बच्चों का यह मानना होता है कि डॉक्टर नाम की बला में दिल नहीं होता. जिस निर्दयीपन से वह सुई लगाते हैं उससे उनके प्रति यही भाव सामने आते हैं. लेकिन इस पत्र को पढ़ने के बाद आपको साफ हो जाएगा कि डॉक्टरों मॆं भी दिल होता है और वह भी बहुत ही प्यारा सा.
आइयें पढ़े यह प्यारा सा प्रेम पत्र
माई लवली मिस शिखा,
हाय! कैसी हो आजकल? कितने पत्र और भेजने के बाद तुम्हारा जवाब आएगा? क्या तुमने कसम खा ली है कि अपनी कोमल उंगलियों से कलम नहीं पकडोगी, चाहे मैं मर ही जाऊं? ऐसे ही प्यार करना था तो किया क्यों? या कुछ दिनों तक और बीमार ही रहती। अपना तो इलाज करवा गई और मुझे ही बीमार कर गई, मैडम आप! मैं नहीं जानता था कि प्यार का इन्फेक्शन इतना खतरनाक होता है। न जाने कौन सा वायरस मेरे अंदर डाल गई तुम कि कोई एंटीबायोटिक काम ही नहीं कर रहा है। पिक्चर, टीवी, इंटरनेट, एक्शन मूवी, मॉल, पीवीआर जैसे हाई पोटेंसी के सारे एंटीबायोटिक आजमा लिए मैंने, लेकिन कोई फायदा ही नहीं।
तुम्हारे बारे में सोचता हूं तो हार्ट बीट बढ जाती है, बीपी डबल हो जाता है, बॉडी में झुरझुरी होने लगती है। दिन में ही कुछ का कुछ दिखने लगता है। कभी कुछ दिखता ही नहीं तो कभी सबमें तुम ही तुम दिखने लगती हो। यह तो और भी बर्दाश्त नहीं होता। एक दिन तो पिटने की नौबत भी आ गई थी। जानती हो, कुछ मरीजों की पर्ची पर मैंने डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की जगह तुम्हारा नाम लिख दिया था। बेचारे मरीज सारे लैब और सभी मेडिकल स्टोर्स से निराश होकर वापस आ गए। गनीमत यह थी कि मरीज सरकारी अस्पताल के थे और उन्होंने समझा कि डॉक्टर ने कोई ऊंची दवा लिख दी है।
डार्लिग, मैंने तुम्हें बीमारी से बचाया था, अब तुम भी मुझे बीमारी से बचाओ। मेरा तो रोग भी तुम्हारा लगाया हुआ है-मानव जनित रोग है यह। अगर तुम इस पत्र का उत्तर नहीं दोगी तो मरीजों पर डॉक्टरों का विश्वास नहीं रह जाएगा। हो सकता है कि भविष्य में कोई डॉक्टर किसी हसीना का इलाज ही न करे। मेरा इलाज तो केवल लवोथेरेपी से ही हो सकता है और उसकी इकलौती डॉक्टर तुम्हीं हो। तुम आ जाओ तो एक डॉक्टर अपनी डॉक्टरी वापस पा लेगा और हां, तुम भी तो डॉक्टरनी बन जाओगी-बिना कुछ किए ही।
अब तो अपनी अंखियों का स्टेथस्कोप मेरे दिल पर लगा दो डार्लिग!
तुम्हारा मरीज,
डॉक्टर पी जी एल
हरिशंकर राढ़ी
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