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पिछले दिनों कर्नाटक विधानसभा में माहौल बेहद गर्म रहा. वजह वहां के दो बड़े नेताओं का मोबाइल पर पोर्न वीडियो देखना. इन दोनों ने अपनी-अपनी “बचकानी” सफाई भी दी कि बेचारों ने हालात को समझने के लिए यह पोर्न वीडियो देखा था. उम्मीद है इन लोगों ने कभी “विकास कैसे किया जाता है” समझने के लिए कोई वीडियो नहीं देखा होगा. लेकिन बात अगर सिर्फ कर्नाटक विधानसभा की होती तो बात समझ में आती थी पर मामला सदन से बाहर निकला और शक की निगाहें हर उस इंसान पर उठने लगी जिसके पास अच्छा मोबाइल है.
खबर के आते हैं माता-पिता ने अपने बच्चों के मोबाइल की जमकर तलाशी ली कि कहीं वह भी वासना का नंगा ड्रामा तो नहीं देख रहे. इस बात को लेकर कि क्या पोर्ब वीडियो देखना हमारी नैतिकता को समाप्त करता है या नहीं खूब बहस हुई. कई महान बुद्धिजीवियों ने इसे नैतिकता के प्रति घोर पाप करार दिया तो कुछ इसे मात्र व्यक्ति की आजादी से जोड़ कर देखते हैं.
पोर्न वीडियो देखना मेरी मर्जी
मैं भी उन्हीं लोगों की आवाज में सुर मिलाता हूं जो मानते हैं कि पोर्न वीडियो देखना आदमी की नीजि आजादी का मामला है. हालांकि मैं यह जरूर कहूंगा कि रेप या जबरदस्ती बनाए गए किसी भी ऐसी बेहुदा चीज को देखना ना सिर्फ गलत है बल्कि पाप है लेकिन किसी पोर्न क्लिप को देखना आदमी की नीजि आजादी का मामला है.
एक पोर्न क्लिप एक फिल्म की तरह होती है. उसमें काम करने वाले कलाकार भी किसी फिल्म के हीरो-हिरोइन की तरह ही होते हैं. और उनके काम को देखने में क्या झिझक.
जिस तरह मन की बात को मन में ही दबाए रखने से वह कुंठित होती चली जाती है उसी तरह अगर वासना को भी मन में दबाएं रखा गया तो वह बहुत बेकार और गंदी स्थिति में पहुंच जाती है. इस अवस्था में अगर इंसान पोर्न वीडियो देखकर ही अपने मन को शांत करता है तो इसमें गलती क्या है.
खैर यह तो मेरे अपने विचार थे सिर्फ अपने. लेकिन अगर एक सामाजिक प्राणी के लिहाज से बात करूं तो मैं फिर से कहूंगा कि पोर्न वीडियो देखने में कोई बुराई नहीं बस वह किसी रेप या जबरदस्ती बनाया गया वीडियो ना हो साथ ही इसे इंसान को खुद तक रखना चाहिए ना कि अपने मोबाइल से दूसरे पर भेजना चाहिए.
मुझे पूरी पूरी उम्मीद है कि इस ब्लॉग के खिलाफ कई लोग कमेंट करेंगे पर दोस्तों ब्लॉग होता ही अपनी नीजि राय रखने के लिए है और मैंने अपनी राय रख दी है.
#PORNGATE SCANDAL,# love
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