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लड़को के पास तो सुट्टा लगाने के पचास बहाने होते हैं लेकिन जब भी हम किसी लड़की को गश लगाते देखते हैं तो मन में एक ख्याल उठता है कि आखिर लड़की क्यूं सिगरेट पीती है. तो चलिए दोस्तों जानते हैं कि आखिर लड़कियां सिगरेट क्यूं पीती है?
बहाना नंबर 1 – ‘पैरेंट्स ने पॉकेट मनी कम कर दी है… मोबाइल बिल हर महीने बढ़ जाता है तो मैं क्या करूं? नेटवर्किंग अभी से नहीं करूंगी तो क्या बुढ़ापे में करूंगी? हद है…दिमाग भन्ना रहा है..इन ओल्डीज को कौन समझाए यार.. We do have some needs…ला यार, आज मैं भी एक पी ही लूं।’ (करियर की जद्दोजहद में पड़ी युवा लड़कियों का अक्सर का बहाना। यह बहाना काफी पुराना है वैसे। सन 2001 में ऐसे एक्स्क्यूज़ेज़ सुनने में मिलते थे। हालांकि इस तरह के अब के चलन में होने न होने को ले कर पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता।) 🙂
बहाना नंबर 2– स्किन का ध्यान रखना चाहिए। कॉफी और चाय बार-बार नहीं पीनी चाहिए। ड्राई हो जाती है। होंठ भी काले होने लगते हैं। बार बार टी- कॉफी की तलब लगे तो क्या करूं? सिगरेट ही पी आती हूं। (वाह क्या बात है लेकिन यह बहाना सच में सिर्फ बहाना ही लगता है. अब अगर चाय से स्किन काली होती है तो सिगरेट कौन सा स्किन में चमक पैदा कर देती है!)
बहाना नंबर 3 – जिन्दगी में कुछ बचा नहीं है जिसकी परवाह करूं। किसी से बात करने का मन नहीं करता। दरअसल, बात करने लायक लोग आसपास हैं ही कहां। हर कोई मतलब का यार है। किसी की चुगली करने से बेहतर है में जाकर सुट्टा लगा लेना… अकेले 🙂
बहाना नंबर 4 – सुबह-सुबह ‘प्रेशर’ नहीं बनता। पांच गहरे कश अंदर और.. (वाह इससे अधिक बेहतरीन सुट्टा अकेले और पीजी में रहने वाली लड़कियों के लिए कोई दूसरा नहीं होता. बहाना का बहाना और मजे के मजे..।
बहाना नंबर 5 – टशन। (यह बहाना कम सच्चाई अधिक है। ग्लोबल परिप्रेक्ष्य में न लें, तो हर लड़की पहली बार स्मोक करते समय कहीं न कहीं इस टशन-इफेक्ट से प्रभावित होती है। जिन महिलाओं ने जीवन में केवल एक ही बार सुट्टा मारा है, उनसे पूछें तो वे इसी टशन-इफेक्ट की लपेट में आईं थीं। ( विमिन स्मोकर्स इस बात को खुले में कभी नहीं स्वीकारेंगी कि वे स्मोकिंग करते हुए टशन (स्टाइल) का खास ख्याल रखती हैं।) 🙂
बहाना नंबर 6 – ऑफिस का सुट्टा ब्रेक। ये बगल में बैठा गंजा मोटा चोख्खा दिन भर सिस्टम पर मैट्रिमोनियल खंगालता है और सुट्टा ब्रेक ऐसे लेता है जैसे खूब काम करके आया हो…तो मैं (या हम) क्यों न लेकर आएं सुट्टा ब्रेक। (भैया क्या करें विधानसभा से लेकर नगरनिगम पालिका तक हर जगह इन लड़कियों को रिजर्ववेशन चाहिए. )
बहाना नंबर 7 – ‘पुलिसवालों से अंदर की खबर लेनी होती हैं… क्राइम रिपोर्टिंग में बिंदास होना जरूरी है… बहन जी टाइप नहीं चलेगी… इसलिए दिन भर चाहे सिगरेट पिऊं या नहीं, पर दुनिया के सामने पीते हुए दिखना जरूरी है।’ (एक कड़वा सच होता है यह बहाना.. चाहे मल्टीनेशनल कंपनी हो या बड़े लोगों की पार्टी अगर लड़कियां स्मोकया पीती नहीं तो उन्हें डम्ब यानि गंवार समझा जाता है .. यह बात लड़कों के साथ भी लागू होती है. )
बहाना नंबर 8 – आज बहुत टेंशन में हूं। अकेले बैठना चाहती हूं। कुछ देर। मैं और मेरी सिगरेट… ( यह बहाना जेंडर-न्यूट्रल है यानी मर्द भी इसका इस्तेमाल करते हैं लेकिन शराब पीने के लिए। अल्कोहल, स्मोकिंग और टेंशन का रिश्ता तो प्राचीनतम है। याद करें देवदास।)
बहाना नंबर 9 – ‘इंक्रीमेंट हुआ है… बर्थडे है… एग्ज़ाम क्लियर हो गया… मूड मस्त है… बाल -बाल बचे रे’.. आदि इत्यादि। (यानी, कोई भी ऐसी खुशी जो डाउटफुल थी।)
बहाना नंबर 10 – ‘बहाना? वॉट रबिश। मुझे किसी बहाने की ज़रूरत नहीं। जब मन करता है, सुलगा लेती हूं।इसे कहते हैं 2012 की स्वतंत्र, उन्मुक्त और बिंदास लड़की का बहाना जिसके लिए कोई परंपरा और समाज मायने नहीं रखता. 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂
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