Menu
blogid : 355 postid : 880

Kabir ke dohe: कबीर के दोहे हिन्दी में अर्थ सहित

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
  • 247 Posts
  • 1192 Comments

Kabir ke dohe: कबीर के दोहे हिन्दी में अर्थ सहित


संत कबीर दास को भारतीय समाज में बेहद सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. संत कबीरदास ने अपनी वाणी और अपने कथनों से जनता के लिए कई अनमोल रास्ते बनाए हैं. कबीर दास के दोहे एक ऐसी वस्तु के रूप में विख्यात हैं जिन्हें पढकर कोई भी इंसान अपने जीवन को सही रास्ते पर ला सकता है.


RAHIM KE DOHE: रहीम के दोहे


KabirKabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

पर नारी पैनी छुरी, विरला बांचै कोय

कबहुं छेड़ि न देखिये, हंसि हंसि खावे रोय।

संत कबीर दास जी कहते हैं कि दूसरे की स्त्री को अपने लिये पैनी छुरी ही समझो। उससे तो कोई विरला ही बच पाता है। कभी पराई स्त्री से छेड़छाड़ मत करो। वह हंसते हंसते खाते हुए रोने लगती है।


*****************


Kabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

पर नारी का राचना, ज्यूं लहसून की खान।

कोने बैठे खाइये, परगट होय निदान।।

संत कबीरदास जी कहते हैं कि पराई स्त्री के साथ प्रेम प्रसंग करना लहसून खाने के समान है। उसे चाहे कोने में बैठकर खाओ पर उसकी सुंगध दूर तक प्रकट होती है।


*****************


Kabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित हुआ न कोय।

ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित होय।

पोथी पढ़-पढ़कर संसार में बहुत लोग मर गए लेकिन विद्वान न हुए पंडित न हुए। जो प्रेम को पढ़ लेता है वह पंडित हो जाता है।


*****************


Kabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार।

साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि कटु वचन बहुत बुरे होते हैं और उनकी वजह से पूरा बदन जलने लगता है। जबकि मधुर वचन शीतल जल की तरह हैं और जब बोले जाते हैं तो ऐसा लगता है कि अमृत बरस रहा है।


Also Read: Love Shayri


*****************


Kabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

शब्द न करैं मुलाहिजा, शब्द फिरै चहुं धार।

आपा पर जब चींहिया, तब गुरु सिष व्यवहार।।

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि शब्द किसी का मूंह नहीं ताकता। वह तो चारों ओर निर्विघ्न विचरण करता है। जब शब्द ज्ञान से अपने पराये का ज्ञान होता है तब गुरु शिष्य का संबंध स्वतः स्थापित हो जाता है।


*****************


Kabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

प्रेम-प्रेम सब कोइ कहैं, प्रेम न चीन्है कोय।

जा मारग साहिब मिलै, प्रेम कहावै सोय॥

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि प्रेम करने की बात तो सभी करते हैं पर उसके वास्तविक रूप को कोई समझ नहीं पाता। प्रेम का सच्चा मार्ग तो वही है जहां परमात्मा की भक्ति और ज्ञान प्राप्त हो सके।


*****************


Kabir ke dohe: संत कबीर के दोहे अर्थ सहित

गुणवेता और द्रव्य को, प्रीति करै सब कोय।

कबीर प्रीति सो जानिये, इनसे न्यारी होय॥

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि गुणवेताओ-चालाक और ढोंगी लोग- और धनपतियों से तो हर कोई प्रेम करता है पर सच्चा प्रेम तो वह है जो न्यारा-स्वार्थरहित-हो



Kabir ke Dohe in Hindi, Kabir ke Dohe, Kabir ke Dohe in Hindi With Meaning, Kabir ke dohe, कबीर के दोहे, कबीर के दोहे हिन्दी में, कबीर के दोहे अर्थ सहित,


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to tihorCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh