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जानिए आजाद हिन्द की सेना के राज

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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आजादी की लड़ाई में भारत ने अपने कई सिपाही खोए थे. इनमें से कई वीर जवान तो आज हमारे आदर्श बने हुए हैं लेकिन कुछ साथी ऐसे भी थे जो शायद गुमनामी की भीड़ में कहीं खो गए. ऐसे ही जवानों से सजी हुई एक सेना थी आजाद हिंद फौज.


निर्विवाद रूप से देश के सबसे दिलेर क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की थी. अपनी सिंगापुर यात्रा के दौरान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कैथेहाल गए थे जहां 21 अक्टूबर, 1943 को उन्होंने आजाद हिंद सरकार का रश्मी तौर पर ऐलान किया था.


यूं तो आजाद हिन्द फौज की स्थापना का मूल श्रेय रासबिहारी बोस को जाता है जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सन 1942 में भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतन्त्र कराने के लिये आजाद हिन्द फौज या इन्डियन नेशनल आर्मी नामक सशस्त्र सेना का संगठन किया गया.


आरम्भ में इसमें उन भारतीय सैनिकों को लिया गया था जो जापान द्वारा युद्ध-बन्दी बना लिये गये थे. बाद में इसमें बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भर्ती किए गये. एक वर्ष के भीतर ही साल 1942 के दिसंबर माह में ही आजाद हिन्द फौज लगभग समाप्त हो गई थी लेकिन अगले ही साल यानि साल 1943 में सुभाष चन्द्र बोस ने इसे पुनर्जीवित किया और इसकी बागडोर संभाली. नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना की मदद के काफी कार्य किए.


आज भी आज़ाद हिन्द फ़ौज लाखों भारतवासियों के दिलों में अपना स्थान बनाए हुए है.

आजाद हिन्द फौज ने वर्ष 1944 में अंग्रेजों से भयंकर युद्ध किया और कोहिमा, पलेल आदि कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया गया. 22 सितंबर, 1944 को शहीदी दिवस मनाते हुये सुभाष बोस ने अपने सैनिकों से मार्मिक शब्दों में कहा ‘हमारी मातृभूमि स्वतंत्रता की खोज में है. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’. किंतु दुर्भाग्यवश द्वितीय युद्ध का पासा पलटा और जर्मनी ने हार मान ली साथ ही जापान को भी घुटने टेकने पड़े. ऐसे में इन देशों ने आजाद हिन्द फौज की मदद करने से इंकार कर दिया. इसी समय सुभाष चन्द बोस पर अंग्रेजों ने नकेल करने की रणनीति बनाई. इस वजह से सुभाष बोस को टोकियों की ओर पलायन करना पड़ा और कहते हैं कि हवाई दुर्घटना में उनका निधन हो गया.


यद्यपि आज़ाद हिंद फौज के सेनानियों की संख्या के बारे में थोड़े बहुत मतभेद रहे हैं परंतु ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि इस सेना में लगभग चालीस हजार सेनानी थे. इन्हीं सिपाहियों में से कुछ खास थे लक्ष्मी सहगल, अमजद हसन, सिपाही सुखा सिंह, सिपाही कर्म सिंह, श्याम बिहारी सिंह आदि. आजाद हिन्द फौज भारत के गौरवशाली और क्रांतिकारी इतिहास को सुनहरे अक्षरों में कैद किए हुए है.


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