थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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फ़िराक़ गोरखपुरी बीसवीं सदी के उर्दू के महान शायर थे। फ़िराक़ का जन्म २८ अगस्त १८९६ में गोरखपुर में हुआ। आज उनकी पुण्यतिथि पर हाजिर है कुछ खास शायरी और गजलें.
जाओ न तुम हमारी इस बेखबरी पर कि हमारे
हर ख़्वाब से इक अह्द की बुनियाद पड़ी है।
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किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्नों इश्क धोखा है सब मगर फिर भी।
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खन की शम्मां जलाओ बहुत उदास है रात
नवाए मीर सुनाओ बहुत उदास है रात
कोई कहे ये खयालों और ख्वाबों से
दिलों से दूर न जाओ बहुत उदास है रात
पड़े हो धुंधली फिजाओं में मुंह लपेटे हुये
सितारों सामने आओ बहुत उदास है रात।
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कहाँ वह खल्वतें दिन-रात की और अब यह आलम है,
कि जब मिलते हैं दिल कहता है, कोई तीसरा होता।
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