थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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बहते आंसुओं की जुबां नहीं होती.
लफ्जों में मोहोब्बत बयां नहीं होती.
मिले जो प्यार तो कद्र करना
किसमत यूं हर किसी पर मेहरबान नहीं होती
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तन्हा रहना तो सीख लिया हमने
लेकिन खुश कभी ना रह पाएंगे
तेरी दूरी तो फिर भी सह लेता ये दिल
लेकिन तेरी मोहब्बत के बिना ना जी पाएंगे
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दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूं
प्यार का उसे पैगाम क्या दूं
इस दिल में दर्द नहीं बस यादें हैं उसकी
अब यादें ही मुझे दर्ददें तो उसे इल्जाम क्या दूं
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