थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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क्या कहे कुछ कहा नहीं जाता,
दूर आपसे अब रह नहीं जाता,
प्यार हो गया है कुछ इस कदर आपसे कि आपको डिस्टर्ब किए बिना भी अब रहा नहीं जाता.
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खुद में हम कुछ इस कदर खो जाते हैं
बीती हुई यादों को लेकर रो जाते हैं
नींद तो आती नहीं यादों में पर
उनको ख्वाब में देखने के लिए सो जाते हैं
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उन हसीन पलों को याद कर रहे थे
आसमान से आपकी बात कर रहे थे
सुकून मिला जब हमें हवाओं ने ये बताया कि
आप भी चोरी-चोरी हमें ही याद कर रहे थे .
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