थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )
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कुछ ख्वाहिशों के पंख मुझे भी दे दो
इस डूबते हुए तिनके को सहरा दे दो
कोई मेरी डूबती को कश्ती किनारा दे दो
मुझे भी कोई पतवार और माझी भी दे दो
कुछ ख्वाहिशो के पंख मुझे भी दे दो
मै नन्हें पैरों से कितनी दूर चल पाऊंगा
गिरते , उठते कब तक संभल पाऊंगा
कोई थामने वाले हाथ मुझे भी दे दो
कोई अपना साया और साथ भी दे दो
कुछ ख्वाहिशो के पंख मुझे भी दे दो ……
आस्मां को देखकर कब तक सो जाउगा
तारो मै कब तक अपनों को देखता जाउगा
कुछ परियो के कहानिया मुझे भी दे दो
टूटा तारो वाली किस्मत मुझे भी दे दो
कुछ ख्वाहिशो के पंख मुझे भी दे दो
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