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शादी में दो मन एक साथ बड़े अरमानों से जुड़ते हैं। लेकिन साल भर होते-होते रिश्तों का सौंधापन ना जाने कहां चला जाता है और तकनीकी रूप से दो लोग साथ होते हुए भी साथ नहीं होते। एक लड़की को नए घर के माहौल के हिसाब से ढलने में समय लगता है लेकिन लड़के की भारी भरकम अपेक्षाओं के बोझ तले वह मुरझा जाती है।
बाहरी तौर पर भले ही वह मुस्कुराती नजर आए पर भीतर ही भीतर बहुत कुछ दरकता है। यही स्थिति कमोबेश लड़कों के साथ भी होती है। लेकिन यहां हम लड़कों की तरफ से होनी वाली मामूली सी नादानियों का जिक्र करेंगे ताकि समय पर कुछ रिश्ते संभल जाए।
अक्सर शादी के बाद लड़के अपने परिवार को पत्नी के सामने अतिरिक्त तवज्जो देने लगते हैं। वास्तव में लड़कों की स्थिति बड़ी अजीब हो जाती है। जिस परिवार के साथ वह इतने सालों तक रहा अचानक उसे उनका समय चुरा कर अपनी पत्नी को देना होता है। इसलिए वह अपने परिवार की भावनाओं को समझने की जल्दबाजी में पत्नी की भावना को नहीं समझता।
जहां परिवार वाले समझदार हैं और पति-पत्नी के एकांत का महत्व समझते हैं वहां यह समस्या इतनी खड़ी नहीं होती क्योंकि दो दिलों को अपने लिए पर्याप्त समय मिल रहा है। लेकिन जहां परिवार वाले भी नई दुल्हन के आने से असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हैं वहां वे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपना हस्तक्षेप बढ़ाने से बाज नहीं आते। और इस करेले पर नीम पति की तरफ से चढ़ाया जाता है।
लड़कों में कुछ बातों को समझने की व्यावहारिकता थोड़ी कम होती है नतीजतन वे अपनी बीवी को ही दोषी मानने लग जाते हैं कि उसे परिवार रास नहीं आ रहा। लड़कों को चाहिए कि वह अपनी नई नवेली पत्नी को धीरे-धीरे रिश्तेदारों के बारे में बताए और उसे कभी भी यह महसूस न होने दें कि परिवार हमेशा ही सही है और वह गलत।
याद रखिए पत्नी को आपका परिवार बुरा नहीं लग रहा है बल्कि आपका 24 घंटे मेरा परिवार-मेरा परिवार का जाप बुरा लग रहा है। इस जाप पर कंट्रोल भी आपको ही करना होगा। पत्नी को अभी प्यार और विश्वास की सख्त जरूरत है। यही वक्त है उसका दिल जीतने का। बाद में तो जीवन भर उसे आपके परिवार के साथ ही रहना मगर पहले साल में उसे अपना बनाना, अपने अनुकूल बनाना आपकी जिम्मेदारी है।
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